खेलने से जलेंगी आंखें और बदन
इसलिये अपने अंतर्मन में
स्थापित कर लें एक सुंदर स्वरूप
————
किस पर रंग फैंककर
किसका व्यक्तित्व अपने हाथ से चमकायें,
अपने हृदय को कर दें ध्यान में मग्न,
हो जायेंगे कीचड़ की समाधियां भग्न,
बरस भर जमा किया है कीचड़ मन में
वहां ज्ञान का कमल लगायें।
————
दीपक भारतदीप की शब्दयोग पत्रिका पर लिख गया यह पाठ मौलिक एवं अप्रकाशित है। इसके कहीं अन्य प्रकाश की अनुमति नहीं है।
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका
५.दीपक भारतदीप का चिंत्तन
६.ईपत्रिका
७.दीपक बापू कहिन
८.जागरण पत्रिका
९.हिन्दी सरिता पत्रिका
टिप्पणियाँ
ध्यान लगाओ शीला का, ले आमिर का नाम /
भरी जवानी देख के , भूलो सारे काम //
भूलो सारे काम, जवानी फिर न आये /
ये देखो मद मस्त, छरहरा पन छा जाये //
कह ‘भिन्डी’ कविराय, कहां चक्कर काटोगे /
जाकर किस दरवाजे, सम्मन को बाटोगे //
I Loved this Holi SMS Shayari