लोकतंत्र और गरीब इंसान-हिंदी कविता


तंगहाल लोगों को

खूबसूरत सपने दिखाकर

बरगलाना आसान है,

यही सिद्धांत लोकतंत्र की जान है।

कहें दीपक बापू

किसी की निंदा जितना ही खतरा

किसी की तारीफ करने में है

इसलिये मौन रहने से  ही बढ़ती शान है।

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गरीब का स्तर कमतर रहना जरूरी है,

अमीर के नखरे उठाये उसकी मजबूरी हैं।

कहें दीपक बापू

गरीब के पसीने से लोकतंत्र नहीं चलता,

अमीर के पैसे से अंधेरे में खड़ीभेड़ों की भीड़ के लिये

सपनों का  चिराग जलता,

गरीब के भले के लिये

चलते रहेंगे बड़े बड़े अभियान

तख्त पर बैठेगा वही

जिसकी गरीबी से दूरी है।

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लेखक एवं संपादक-दीपक राज कुकरेजा भारतदीप

लश्कर, ग्वालियर (मध्य प्रदेश)

कवि, लेखक एवं संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर
hindi poet,writter and editor-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com

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