अपने सपनों का पूरा होने का बोझ
दूसरों के कंधों पर वह टिकाते हैं,
पूरे होने पर अपनी कामयाबी पर
अपनी ही ताकत दिखाते हैं।
कहें दीपक बापू
मेहनत और अक्ल का
इस्तेमाल करने का सलीका नहीं जिनको
वही दूसरों को अपनी जरूरतों के वास्ते
पहले सर्वशक्तिमान से याचना
फिर पूरी होने पर
ज़माने के सामने इतराना सिखाते हैं।
——————————-
लेखक एवं कवि-दीपक राज कुकरेजा
ग्वालियर मध्य प्रदेश
hindi poet,writter and editor-Deepak ‘Bharatdeep’,Gwalior
http://dpkraj.blgospot.com
अन्य ब्लाग
1.दीपक भारतदीप की शब्द पत्रिका
2.अनंत शब्दयोग
3.दीपक भारतदीप की शब्दयोग-पत्रिका
4.दीपक भारतदीप की शब्दज्ञान पत्रिका5.दीपक बापू कहिन
6.हिन्दी पत्रिका
७.ईपत्रिका
८.जागरण पत्रिका
९.हिन्दी सरिता पत्रिका