गुरु चेला का महंगाई और भ्रष्टाचार पर संवाद-हिन्दी हास्य कविता (hindi comic poem on bhrashatachar and mahangai)


गुरुजी ने छेड़ा जैसे ही
महंगाई और भ्रष्टाचार विरोधी अभियान
चेले का दिल घबड़ाया,
वह दौड़ा आश्रम में आया,
और बोला
‘‘महाराज,
आप यह क्या करते हो,
जिनकी हमारे आश्रम पर पर कृपा है
ऐसे ढेर सारे समाज सेवक
बड़े पदों पर शोभायमान पाये जाते हैं,
कहीं सौदे में लेते कमीशन
कहीं कमीशन देकर सौदे कर आते हैं,
आपके दानदाता कई सेठों ने चीजों में कर दी महंगाई,
क्योंकि उनकी कृपा जबरदस्त पाई,
भ्रष्टाचार और महंगाई से
आम आदमी भले परेशान है,
पर इससे आपके दानदाताओं की बड़ी शान है,
इस तरह अभियान छेड़ने पर
वह नाराज हो जायेंगे,
बिफरे तो हमारे यहां भी
आप अपना खजाना खाली पायेंगे,
इस तरह तो आपके आश्रम में
सन्नाटा छा जायेगा,
सेठ और समाज सेवकों के घर
दान मांगने वाला आपका हर चेला
जोरदार चांटा खायेगा।’’

सुनकर गुरु जी बोले
‘‘कमबख्त, मुझे सिखाता है राजनीति
होकर मेरा चेला,
नहीं है तुझे उसका ज्ञान एक भी धेला,
महंगाई और भ्रष्टाचार
देश में बढ़ता जा रहा है,
आम आदमी हो रहा है विपन्न
अमीर के धन का रेखाचित्र चढ़ता जा रहा है,
मगर अपने दान की रकम
बीस बरस से वही है,
यह बिल्कुल
नहीं सही है,
जाकर दानदाताओं से बोल दे,
महंगाई और भ्रष्टाचार की तराजु में
अपने दान की रकम तोल दे,
हमारी रकम बढ़ा दें,
हम अपने अभियान पर
अभी नहीं की सांकल चढ़ा लें,
अगर नहीं मानते तो
यह अभियान सारे देश में छा जायेगा,
अपने पुराने दानदाता रूठें परवाह नहीं
कोई नया देने वाला आयेगा,
वैसे तुम मत परवाह करो
बस, उनके सामने जाकर अपनी चाह धरो,
मुझे मालुम है
तुम इसलिये घबड़ाये हुए हो,
क्योंकि दान की बड़ी रकम
उनसे लेकर दबाये हुए हो,
मगर मुझे चिंता नहीं
अपने दान की रकम जरूर वह बड़ा देंगे,
पंगे के डर से दान बढ़ा देंगे,
इस तरह हमारा खजाना भी
महंगाई और भ्रष्टाचार की बढ़ती
ऊंची दर तक
अपने आप पहुंच जायेंगा।’’

संकलक, लेखक और संपादक-दीपक ‘भारतदीप’,ग्वालियर 
athor and editor-Deepak  “Bharatdeep”,Gwalior
http://zeedipak.blogspot.com
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