योग साधना से तन मन और विचार में मजबूती संभव-हिंदी लेख


                       प्रातःकाल समाचार सुनना अच्छा है या भजन! एक जिज्ञासु ने यह प्रश्न किया।

            इसका जवाब यह है कि समाचार सुनने पर हृदय में प्रसन्नता, आशा, तथा सद्भाव उत्पन्न होने की  संभावना के साथ ही हिंसा, निराशा, तनाव तथा क्रोध का भाव आने की आशंका भी रहती है।  भजन से मन में राग उत्पन्न अच्छा रहता है पर जब वह बंद हो जायेगा तो क्लेश भी होगा।  योग सूत्र के अनुसार राग में व्यवधान के बाद क्लेश उत्पन्न ही होता है।

            प्रातःकाल सबसे अच्छा यही है कि समस्त इंद्रियों को मौन रखकर ध्यान किया जाये।  यही मौन सारी देह में नयी ऊर्जा का संचार करता है। यही ऊर्जा पूरे दिन देह में स्फूर्ति बनी रहती है। पढ़ने या सुनने से यह बात समझ में नहीं आयेगी। करो तो जानो।

            एक योग साधक सुबह उद्यान में अपने नित्य क्रम में व्यस्त था। उसके पास एक अन्य व्यक्ति आया और बोला-‘‘यार, इस तरह क्या हाथ पांव चला रहे हो। हमारे साथ घूमो तो देह को अधिक लाभ मिलेगा।

            साधक हंसकर चुप रहा। वह फिर बोला-‘‘इस तरह की साधना से कोई लाभ नहीं होता। चिकित्सक कहते हैं कि पैदल घूमने से ही बीमारी दूर रहती है। तुम हमारे साथ घूमो! दोनो बाते करेंगे तो भारी आनंद मिलेगा।

            साधक ने कहा-‘‘पर वह तो मुझे अभी भी मिल रहा है।

            ‘‘तुम नहीं सुधरोगे’’-ऐसा कहकर चला गया।

            कुछ देर बार वह घूमकर लौटा और पास बैठ गया और बोला-‘‘अभी भी तुम योग साधना कर रहे हो। मैं तो थक गया! तुम थके नहीं!’’

            साधक ने कहा-‘‘तुम दूसरों के साथ बात करते अपनी ऊर्जा क्षरण कर रहे थे और मेरी देह मौन होकर उसका संचय कर रही थी। थक तो मैं तब जाऊंगा जब बोलना शुरू करूंगा।’’

            वह व्यक्ति व्यथित होकर उठ खड़ा हुआ-‘‘यार तुमसे तो बात करना ही बेकार है। तुम्हारे इस मौन से क्रोध आता है। इसलिये मैं तो चला।’’

            मौन केवल वाणी का ही नहीं कान, आंख और मस्तिष्क में भी रहना चाहिये।  यही योग है।  मौन रहका प्राणों के आयाम पर ध्यान रखने की क्रिया को जो आनंद है वह करने वाले ही जानते हैं।

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 कवि एवं लेखक-दीपक राज कुकरेजा ‘भारतदीप’

ग्वालियर, मध्य प्रदेश

कवि, लेखक और संपादक-दीपक “भारतदीप”,ग्वालियर 

poet, writer and editor-Deepak “BharatDeep”,Gwalior

http://rajlekh-patrika.blogspot.com

यह पाठ मूल रूप से इस ब्लाग‘शब्दलेख सारथी’ पर लिखा गया है।
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