धन, पद और प्रतिष्ठा की शक्ति
हो जाती है जिन पर मेहरबान
क्यों न करे वह उस पर अभिमान
इस जहां में सभी यही चाहते हैं
जिनसे दूर है यह सब
वह रहते हैं परेशान
गर्दन ऊपर उठाएँ देखते हैं
होकर हैरान
उनके लड़के मोटर साइकिलों
और कारों में चलते गरियाते हैं
अभावों से है वास्ता जिनका
वह उन्हें देखकर सहम जाते हैं
अपने वाहन को चलाते है ऐसे
जैसे करते हौं फिल्मी स्टंट
कोई नहीं कर पाता उनको शंट
जो रोकने की कोशिश करे
उस पर टूट पड़ें बनकर हैवान
गरीब अगर अमीर की चौखट पर
जाना बंद कर दे
जाये तो तैयार रहे
झेलने के लिए अपमान
सड़क पर चले तो
किसी से डरे या नहीं
नव-धनाढ्यों की सवारी से
बचकर चले
न हार्न दें
चाहे जहां और जब रूक जाएँ
मन में आये वहीं रूक जाएँ
यही उनकी पहचान
कहैं दीपक बापू
तेज गति से मति होती वैसे ही मन्द
फिर बाप के पैसे, पद और प्रतिष्ठा का
नशा हो जिनको
वह क्यों होंगे किसी नियम के पाबन्द
वह पडा है उनकी तिजोरी में बंद
अपने जीवन की सुरक्षा
अपने ही हाथ में रखो
बाकी करेंगे अपने भगवान
टिप्पणियाँ
Kuch jagah tukbandi acchi hai lekin sorry to say, painapan kam hai.
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bhot jada acchi bhi NAHI HAI