आखिर वह ब्लाग परिदृश्य से गायब हो गया-आलेख


आज वह ब्लाग गायब हो गया जो दूसरों के ब्लाग के पाठ चालाकी से अपने यहां ले जाकर अपने यहां सजा रहा था। उसका तरीका यह था कि वह किसी भी ब्लाग के साइडबार लिये बिना ही पाठ इस तरह ले जाता कि किसी भी ब्लाग लेखक को पता ही नहीं लग सकता था कि उसका ब्लाग वहां देखा गया है। ब्लाग लेखक के नाम पर उसने तारीख इस तरह लगा दी थी कि अगर कोई पाठक पढ़े तो उसे पता ही नहीं चलेगा कि उसका लेखक कौन है? कितने पाठक पढ़ गये यह तो ब्लाग लेखक को पता तो तब चले जब उसे वहां अपने ब्लाग पहुंचने की जानकारी हो।

शायद वह कोई चालाक ब्लागर था जो पांच सामाजिक श्रेणियों में लिखे जाने वाले पाठों को अपने यहां दिखाकर हिट होना चाहता था। इस लेखक के कई ब्लाग/पत्रिकाओं के पाठ वहां पहुंच गये थे, पर इसका शिकार वह अकेला ब्लागर नहीं था। उस चालाक ब्लाग लेखक ने वर्डप्रेस के ब्लाग की पांच अंग्रेजी श्रेणियों की सैटिंग इस तरह की थी वह उनमें लिखा गया कोई भी पाठ वहां पहुंच जाता था। न कापी करने की जरूरत न पेस्ट करने की। एक साफ्टवेयर बनाया और बन गये ब्लागर। अपने आप पाठ आंधी की तरह वहां चले जा रहीं थे। कई अंग्रेजी ब्लाग लेखकों के पाठ भी वहां थे पर वह फिर भी लोगों से बचा रहता अगर अपने पाठों को उसकी श्रेणियों में ही भारत के हिंदी ब्लाग लेखक नहीं लिखते। वैसे वह किसी खास ब्लाग या लेखक को लक्ष्य कर रहा था यह तो नहीं कहा जा सकता पर वर्डप्रेस के ब्लाग उसकी चालों के घेरे में थे यह सत्य है। एक वरिष्ठ हिंदी ब्लाग लेखक की नजर में वह ब्लाग चढ़ गया और और उन्होंने चिट्ठाकार समूह की चर्चा में यह मुद्दा भेजा। इस लेखक की नजर उस पड़ी और फिर शुरू हुआ एक शाब्दिक युद्ध। एक ब्लाग लेखक ने यह सुझाव दिया कि अगर ब्लाग चोरी इसी तरह की हो रही है तो उस ब्लाग की निंदा करते हुए एक पाठ लिखा जाये जिससे वह विचलित हो जाये और फिर पाठ को हटा लें या फिर अपने पाठ पर ही अपने ब्लाग का लिंक लिखकर पाठकों को सचेत किया जाये। इस लेखक ने अपने वर्डप्रेस पर पहले ही अपना नाम और ब्लाग का पता देने का सिलसिला शुरू कर दिया पर इस सुझाव के बाद तो एक आदत बना ली। अलबत्ता निंदापरक शब्दों से बचते हुए केवल अपने निज प्रचार की जानकारी पाठ पर लिखना शुरू की। इसका परिणाम सामने आया और वह ब्लाग आज परिदृश्य में नहीं आया क्योंकि वह लेखक अपने ब्लाग पर किसी दूसरे का प्रचार सहन नहीं कर सकता था। उसके लिये कोई चेतावनी जारी नहीं की गयी पर वह सहन नहीं सकता था कि उसके ब्लाग पर कोई अपना प्रचार पाये।

क्या वह इस लेखक के द्वारा अपने पाठों पर अपना नाम तथा ब्लाग का पता देने से ही विचलित हो गया जो उसने अपना ब्लाग परिदृश्य से गायब कर लिया या अन्य कहीं भी उसकी ऐसी गतिविधियों की जानकारी ऐसे शक्तिशाली केंद्रों पर पहुंच गयी थी जो उस पर कार्यवाही करने में सक्षम थे और जहां से हटाया गया या वह स्वयं ही छोड़ गया। कहना कठिन है पर एक बात सत्य है कि उसके इस कृत्य के बारे में बहुत लोग जान चुके थे। हालांकि इस लेखक के अलावा किसी ने क्या कार्रवाई की यह पता नहीं पर ऐसा लगता है कि कुछ अन्य ब्लाग लेखकों ने उस पर दबाव बनाया है। आज लेखक के एक ब्लाग पर उस ब्लाग का लिंक मिला है जिससे पता लगता है कि उसने वह ब्लाग लिंक किया था। यह भी संभव है कि इस लेखक से लिंक करने में कोई ऐसी बात हो गयी हो जो उसका लिंक लग गया हो-यह तकनीकी बातें समझना कठिन है।

यह मूल पाठ इस ब्लाग ‘दीपक बापू कहिन’ पर प्रकाशित है। इसके अन्य कहीं प्रकाशन की अनुमति नहीं है।
1. शब्दलेख सारथी
2.दीपक भारतदीप की अंतर्जाल पत्रिका
3.दीपक भारतदीप का चिंतन
संकलक एवं संपादक-दीपक भारतदीप

उसकी यह चालाकी कोई अब छिपा विषय नहीं रह गया था। इस लेखक ने भले ही अपने ब्लाग पर उसका पता नहीं दिया पर हिंदी ब्लाग जगत में अनेक ब्लाग लेखक उस चालाक के बारे में जान गये थे। संभव है कुछ तकनीकी ब्लाग लेखकों ने उसकी गतिविधियों को रोकने का दबाव बनाया हो। उस ब्लाग का परिदृश्य से गायब होना यही दर्शाता है कि अंतर्जाल पर अगर चालाकियां चलेंगी तो उनके रोकने वाली ताकतें भी होंगी। यह समझना बेकार है कि हम किसी के साथ चालाकी कर उसका माल अपने यहां उठा लेंगे तो कोई पकड़ेगा नहीं। यह गलतफहमी जिनको हो वह दूर करे लें। किसी के साथ बदतमीजी करके भी बचने की संभावना अब नगण्य होती जा रही है। वैसे यह लेखक उन ब्लाग लेखकों को नहीं भूल सकता जिन्होंने पहले जानकारी दी और फिर उससे भिड़ने का मार्ग बताया।

आखिर में एक बात कहना चाहूंगा कि वह चालाक भी हिंदी प्रकाशन जगत की परंपराओं को ही निभा रहा था जिसमें लेखक को शब्दों का मजदूर समझा जाता है जहां नाम और नामा दोनों से ही उसे दूर रखने का प्रयास होता है शायद यही कारण है कि मेरा नाम अपने ब्लाग पर दिखने से अधिक अच्छा उसने अपना ब्लाग अंतर्जाल के परिदृश्य से गायब करना पसंद किया। आज सुबह और शाम को देखने पर भी नहीं दिखाई दिया। आगे वह क्या करेगा इसका अनुमान करना कठिन है। इस बारे में शेष चर्चा फिर कभी।

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