वह सुबह जाने की लिए घर से निकले, तो कालोनी में रहने वाले एक सज्जन उनके पास आ गए और बोले-”मेरी बेटी कालिज में एडमिशन लेना चाहती है उसे कालेज में प्रवेश का लिए फार्म चाहिये. आपका उस रास्ते से रोज का आना-जाना है. आप तो भले आदमी हैं इसलिए आपसे अनुरोध है कि वहाँ से उसका फार्म ले आयें तो बहुत कृपा होगी.”
वह बोले-”इसमें कृपा की क्या बात है? आपकी बेटी तो मेरी भी तो बेटी है. मैं कालिज से उसका फार्म ले आऊँगा.”
समय मिलने पर वह उस कालिज गए तो वहाँ फार्म के लिए लाइन लगी थी. वह फार्म लेने के लिए उस लाइन में लगे और एक घंटे बाद उनको फार्म मिल पाया. वह बहुत प्रसन्न हुए और घर आकर अपना स्कूटर बाहर खडा ही रखा और फिर थोडा पैदल चलकर उन सज्जन के घर गए और बाहर से आवाज दी वह बैठक से बाहर आये तो उन्होने उनका फार्म देते हुए कहा-“लीजिये फार्म”
सज्जन बोले-“अन्दर तो आईये. चाय-पानी तो लीजिये.”
वह बोले-“नहीं, मैं जल्दी में हूँ. बिलकुल अभी आया हूँ. फिर कभी आऊँगा.”
सज्जन फार्म लेकर अन्दर चले गए और यह अपनी घर की तरफ. अचानक उन्हें याद आया कि’फार्म भरने की आखरी तारीख परसों है यह बताना भूल गए’.
वह तुरंत लौट गए तो अन्दर से उन्होने सुना कोई कह रहा था-‘आदमी तो भला है तभी तो फार्म ले आया .’
फिर उन्होने उन सज्जन को यह कहते हुए सुना-”कहेका भला आदमी है. फार्म ले आया तो कौनसी बड़ी बात है. नहीं ले आता तो मैं क्या खुद ही ले आता. जरा सा फार्म ले आने पर क्या कोई भला आदमी हो जाता है.”
वह हतप्रभ रह गए और सोचने लगे-‘क्या यह सज्जन अगर कह देते कि भला आदमी है तो क्या बिगड़ जाता. सुबह खुद ही तो कह रहा था कि आप भले आदमी हो.’
फिर मुस्कराते हुए उन सज्जन को आवाज दी तो वह बाहर आये उनके साथ दूसरे सज्जन भी थे. वह बोले-”मैं आपको बताना भूल गया था कि फार्म भरने की परसों अन्तिम तारीख है.”
वह सज्जन बोले-‘अच्छा किया जो आपने बता दिया है. हम कल ही यह फार्म भर देंगे.”-फिर वह अपने पास खडे सज्जन से बोले”यह भले आदमी हैं. देखो अपनी बिटिया के लिए फार्म ले आये.
वह मुस्कराये. उनके चेहरे के पर विद्रूपता के भाव थे. वह सज्जन फिर दूसरे सज्जन से मिलवाते हुए बोले-”यह मेरा छोटा भाई है. बाहर रहता है कल ही आया है.”
वह मुस्कराये और उसे नमस्ते की और बाहर निकल गए और बाहर आकर बुदबुदाये-” काहेका भला आदमी!